अभिनेता अमिताभ बच्चन ने रविवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में दादा साहब फाल्के पुरस्कार ग्रहण किया |

अमिताभ स्वास्थ्य ख़राब होने के कारण पिछले रविवार को आयोजित नेशनल फ़िल्म अवॉर्ड्स में शिरकत नहीं कर पाए थे | इसलिए आज अलग से उन्हें यह पुरस्कार दिया गया |

दादा साहेब फाल्के को भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड माना जाता है | इस साल सितंबर में उन्हें यह पुरस्कार दिए जाने का एलान किया गया था |

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अवॉर्ड लेने के बाद अपने संबोधन में उन्होंने फ़िल्म उद्योग के लोगों और भारत की जनता को धन्यवाद दिया |

इस दौरान उन्होंने मुस्कुराते हुए यह भी पूछा कि क्या यह सम्मान देना इस बात का इशारा तो नहीं कि अब मुझे काम बंद कर देना चाहिए | अमिताभ के यह कहते ही सभागार ठहाकों से गूंज उठा |

अपने संबोधन में अमिताभ ने कहा, “ईश्वर की कृपा रही है, माता-पिता का आशीर्वाद रहा है, फ़िल्म उद्योग के निर्माता-निर्देशकों और सह-कलाकारों का भी साथ रहा है लेकिन सबसे ज़्यादा भारत की जनता का स्नेह और निष्ठापूर्ण प्रोत्साहन रहा है जिसकी वजह से मैं आपके सामने खड़ा हूं |”

“दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की स्थापना आज से 50 साल पहले हुई थी और इतने ही साल मुझे काम करने का सौभाग्य मिला है, इसके लिए मैं आभारी हूं | मैं इस पुरस्कार को बहुत ही विनम्रता से स्वीकार करता हूं | अपना आभार प्रकट करता हूं और नमस्कार करता हूं |”

“अंत में जाने से पहले एक छोटी से बात कहना चाहूंगा, अगर आपकी आज्ञा हो तो | जब इस पुरस्कार की घोषणा हुई तो मेरे मन में संदेह उठा | और धृष्टता के लिए क्षमा प्रार्थी हूं, कि क्या कहीं ये मेरे लिए संकेत है कि भाई साहब आपने बहुत काम कर लिया अब आप घर बैठिए | क्योंकि देवियों और सज्जनों, अभी काम बाकी है जिसे पूरा करना है और आगे ऐसी संभावनाएं बन रही हैं जहां मुझे काम करने का अवसर मिलेगा | तो यदि इसकी पुष्टि हो जाए तो बड़ी बात होगी होगी |”

जब अमिताभ यह कह रहे थे तो सभागार में मौजूद लोग मुस्कुरा रहे थे | उनके संबोधन के आख़िर में सभी ने तालियां बजाईं | आख़िर में कार्यक्रम की उद्घोषिका ने कहा, “भारत का दर्शक आपको आराम नहीं करने देगा |”

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